Shivratri Kab Hai 2023
नमस्कार दोस्तो ,हम सब जानते हे कि अगले महिने मे महादेव का सबसे बडा ओर प्रिय त्योहार आ रहा है। महा शिवरात्रि आमतौर पर फरवरी या मार्च में होती है। हिंदू महाशिवरात्रि मनाते हैं, जिसे पद्मराजरथ्री या 'द ग्रेट नाइट ऑफ शिव' के रूप में भी जाना जाता है, यह हर साल भगवान शिव के सम्मान में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भक्त इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न धार्मिक क्रियाएं करते हैं, जिसमें उनकी पूजा करना और कठोर उपवास करना शामिल है। माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को प्रसन्न करने पर व्यक्ति को मोक्ष या मोक्ष की प्राप्ति होती है। चलिए जानते है महाशिवरात्रि व्रत कब है 2023?, महाशिवरात्रि का पर्व कब मनाया जाएगा ?, महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?
महा शिवरात्रि कब है 2023
हिंदू समुदाय भगवान शिव की पूजा करने के लिए महा शिवरात्रि मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि हर साल हर फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि या पूर्णिमा से एक दिन पहले शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। इस साल यानि 2023 में शिवरात्रि का पर्व 18 जनवरी 2023 ,शनिवार को मनाया जाएगा। ऐसा भी कहा जाता है कि उस रात को भगवान शिव तांडव करते हैं और शक्ति से विवाह करते हैं।
इतिहास के अनुसार शिवरात्रि महीने की सबसे काली रात होती है। महा शिवरात्रि लगभग अंधकार के उत्सव की तरह लगती है। इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था। कहा जाता है कि सती की मृत्यु के बाद शिव ने गहरे ध्यान में प्रवेश किया। सती ने भगवान शिव की पत्नी बनने के लिए पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया।
शिव और पार्वती दोनों प्रेम, शक्ति और एकता के प्रतीक हैं। कहानी हमें बताती है कि कैसे भगवान शिव ने अपनी दिव्य पत्नी शक्ति से दूसरी बार विवाह किया। शिव और शक्ति की कथा के अनुसार, जिस दिन भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया था, उसे शिवरात्रि - भगवान शिव की रात के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि वैवाहिक जीवन में प्रेम, जुनून और एकता का प्रतीक है। शिव और शक्ति एक ही ऊर्जा के दो रूप हैं और साथ-साथ ही वे पूर्ण या शक्तिशाली रूप में खड़े होते हैं।
महाशिवरात्रि 2023 तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 17 फरवरी की रात 8 बजकर 02 मिनट से शुरू होगी और 18 फरवरी की शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
- महाशिवरात्रि पर पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
- साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
- बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है।
- इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
- सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।
- महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय " का जप करना चाहिए।
FAQ :- महाशिवरात्रि के बारे में
प्रश्न -1. महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर - शिव और शक्ति का हुआ था मिलन:-महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
प्रश्न -2. महाशिवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर - यदि आप पूर्ण उपवास कर रहे हैं तो शिवरात्रि के दौरान न सोएं । रात भर जागते रहें और दिव्य महिमा गाएं और भगवान के मंत्रों का जाप करें। शिवरात्रि के दौरान फिल्में देखकर या गेमिंग पर समय बर्बाद न करें। किसी भी तरह के भोग-विलास से दूर रहें।
प्रश्न -3. शिवरात्रि में क्या खाना चाहिए?
उत्तर - एक सख्त महा शिवरात्रि उपवास का अर्थ है सभी खाने-पीने से परहेज करना। हालाँकि, कुछ लोग भीगी हुई मूंगफली, फल, दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ, शहद, साबुदाना या नारियल पानी खाना पसंद कर सकते हैं। आयोडीन युक्त नमक से पूरी तरह परहेज किया जाता है और सभी खाद्य पदार्थ सेंधा नमक या सेंधा नमक का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
प्रश्न -4. साल में कितनी बार महाशिवरात्रि?
उत्तर - शिवरात्रि साल में दो बार आती है , पहली शिवरात्रि फाल्गुन के महीने में आती है तो दूसरी शिवरात्रि श्रावण मास में मनाई जाती है। जो शिवरात्रि फाल्गुन के महीने में आती है उसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
प्रश्न -5. शिवरात्रि का व्रत कौन कौन रख सकता है?
उत्तर - इस व्रत को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्व, शूद्र, नर-नारी, बालक-वृद्ध हर कोई कर सकता ह इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर अनशन व्रत रखना चाहिए।
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